अमेरिकी आयोग की टिप्पणी पर भारत का करारा जवाब, उनका इतिहास ही ऐसा है
अमेरिका के धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की ओर से नागरिकता संशोधन के खिलाफ टिप्पणी की भारत ने निंदा की है। भारत ने अमेरिकी आयोग के बयान पर आपत्ति जाहिर कर कहा है कि यह गलत और गैर-जरूरी है।अमेरिका के कमिशन फॉर इंटरनैशनल रिलिजियस फ्रीडम ने सोमवार को कहा था कि यह बिल गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देता है। संस्थान ने कहा कि था यह बिल गलत है, जो धर्म को नागरिकता का आधार मानता है।
यहीं नहीं कमिशन ने गृहमंत्री अमित शाह को प्रतिबंधित करने की मांग की,जिन्होंने बिल को पेश किया है। कमिशन ने बिल पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा था,नागरिकता संशोधन विधेयक गलत दिशा में एक खतरनाक मोड़ की तरह है। यह भारत की सेक्युलर और बहुलतावादी संस्कृति के खिलाफ है। इसके अलावा यह भारत के संविधान के भी विपरीत है, जो हर सभी को उनके धर्म से इतर समानता का अधिकार देता है।'
अमेरिकी आयोग के बयान को खारिज करते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा अमेरिकी आयोग ने जो कहा है, उसके पिछले इतिहास को देखते हुए वह आश्चर्यजनक नहीं लगता। हालांकि यह दुखद है कि उसके अपने पूर्वाग्रह के आधार पर ही अपनी बात कही। उन्हें पूरे मामले की थोड़ी ही जानकारी है। इसके अलावा वह कोई ऐसा पक्ष नहीं है, जिसकी बात को कोई महत्व दिया जाए।'
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